प्रदेश के कृषि छात्र आंदोलन पर, सरकार उदासीन।

कैसे होगी किसानों की आय दोगुनी।



संजय त्यागी। 

सीहोर। पिछले 14 दिनों से मध्य प्रदेश के कृषि छात्र-छात्रा कृषि शिक्षा में निजीकरण और व्यवसायीकरण के विरोध में आंदोलन पर हैं किंतु मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी।

प्रदेश के कृषि महाविद्यालय ग्वालियर, इंदौर, टीकमगढ़ , खंडवा ,मंदसौर सीहोर आदि प्रतिष्ठित कृषि महाविद्यालयों में उच्च शिक्षित छात्र छात्राएं हड़ताल पर है। जिसमें अर्धनग्न प्रदर्शन नारेबाजी तालाबंदी और गवालियर विश्वविद्यालय में तो भूख हड़ताल पर बैठे छात्र छात्राओं में से तीन की हालत बिगड़ गई जिससे वह आईसीयू में भर्ती है 



इसके बाद भी मध्य प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री या मुख्यमंत्री का इस पर ध्यान नहीं देना चिंता का विषय है। प्रदेश के छात्र-छात्राओं के मामा शिवराज  छोटी-छोटी बातों में जनता के साथ खड़े नजर आ रहे हैं मगर इस मामले में शिवराज मामा भी चुप है हो भी क्यों नहीं क्योंकि कृषि छात्र छात्राओं ने कृषि शिक्षा के निजीकरण और व्यवसायीकरण के खिलाफ आवाज उठाई है कृषि शिक्षा के निजीकरण और व्यवसायीकरण की शुरुआत शिवराज के कार्यकाल मैं ही हुई है। हमने देखा है अन्य क्षेत्रों में शिक्षा के निजीकरण से शिक्षा का स्तर कितना गिरा है प्रदेश में कृषि शिक्षा अभी तक पूरी तरह से सरकार के अधीन चल रही थी प्रदेश के दोनों कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले 11 कृषि महाविद्यालय का आज प्रदेश में नाम है तथा  कृषि भूमि  और कृषि अनुसंधान की व्यापक सुविधाएं हैं और उनमें अध्ययन कर छात्र-छात्राएं अच्छी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इनमें  कृषि वैज्ञानिक व कृषि विशेषज्ञ तैयार हो रहे हैं और अगर कृषि शिक्षा का व्यापक निजीकरण  हुआ तो वहां पर डिग्रियां तैयार होंगे सिर्फ और सिर्फ डिग्रियां ।

एक संवेदनशील सरकार का कर्तव्य है कि उसको होनहार छात्र-छात्राओं की बातों पर ध्यान देना चाहिए

आपको बता दे कि मध्यप्रदेश में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर और राजमाता विजयराजे सिंधिया विश्वविद्यालय ग्वालियर के अधीन  11  महाविद्यालय कृषि शिक्षा में संचालित है। इन महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए सरकार प्री एग्रीकल्चर टेस्ट परीक्षा आयोजित करती है और रैंक के आधार पर कृषि महाविद्यालयों में छात्रों को प्रवेश दिया जाता है जो कि हाई कंपीटिटिव एग्जाम माना जाता है।



छात्र-छात्राओं ने बताया कि पिछले कुछ सालों में सरकार ने कृषि शिक्षा के निजीकरण का फैसला किया है निजी विश्वविद्यालय सभी छात्रों को एडमिशन दे रहे है और पैसा लेकर डिग्रियां बांट रहे हैं।

छात्रों का कहना है कि कृषि शिक्षा में निजीकरण बंद हो और कृषि विभाग में 5000 पद रिक्त हैं उनको भरा जाए इस मांग को लेकर हम पिछले 10 दिनों से हड़ताल पर हैं। सरकार ने हमारी मांगे नहीं मानी तो प्रदर्शन और उग्र होगा।

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