शपथग्रहण समारोह में झलका सौहार्द्र
जब शिवराज बने शपथ समारोह के केंद्रबिंदु।
संजय त्यागी।
सीहोर। सोमवार को जम्बूरी मैदान के विशाल मंच पर राज्य के 18 वें और कांग्रेस के 11 वें मुख्यमंत्री के बतौर कमलनाथ का शपथविधी समारोह प्रतिद्वंदिता की राजनीति में सौहार्द्र की नई ईबारत लिख गया।
यूँ तो शपथग्रहण समारोह के मंच पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी व दो पूर्व प्रधानमंत्रियों ,चार मुख्यमंत्री, कई पूर्व मुख्यमंत्री, देश के ओर भी कई दिग्गज नेताओं समेत कांग्रेस व यूपीए के सहयोगी दलों के साथ कई अन्य नेता व धर्मगुरु मंच की शोभा बढा रहे थे।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद की सपथ दिलाये जाने के बाद जम्बूरी मैदान में जमा कांग्रेसियों की भीड़ के हर्षोल्लास का पारावार न रहना स्वाभाविक था। आखिर 15 साल बाद पार्टी के सत्ता में लौटने से उनके अच्छे दिन जो आने वाले हैं पर उसी मंच पर आज शिवराज सिंह चौहान के पास कमलनाथ पहुंचे हाथ मिलाया, गले मिले, शिवराज का हाथ उठाकर ऊपर किया जैसे ही दूसरी ओर खड़े ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिवराज का दूसरा हाथ पकड़ कर ऊपर उठा लिया एक तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया और दूसरी तरफ अपने उत्तराधिकारी कमलनाथ का हाथ पकड़कर एक साथ ऊँचे उठाते हुए जिस सहज स्नेह और सौहार्द्र की अनूठी मिसाल पेश की वह पूरी महफिल लूट ले जाने वाली थी।
अनायास सामने आये इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने सबका दिल जीत लिया। दो ढाई घंटे से पंडाल में बैठे बैठे 'पूरे मंत्रिमंडल के स्थान पर अकेले मुख्यमंत्री के शपथ लेने' से खजियाए आम कार्यकर्ता भी इस औचक सीन को देखकर चहक उठे। आखिर यही अदा शिवराज को न केवल उनके समकालीन राजनेताओं से अलग पहचान दिलाती है बल्कि दलीय राजनीति से इतर उच्च मानवीय गुणों वाले भले इन्सान की लोकछवि को पुष्ट करती है।
हाथ कंगन को आरसी क्या। दलगत राजनीति से परे है। राजनीतिक सितारों के मंच पर ऐसे दृश्य दुर्लभ होते हैं।
जिस राजनैतिक सौहार्द्र की मिसाल आज भोपाल में नई सरकार के विधिवत श्रीगणेश के शगुन के पलों में नजर आई है, यदि उसके पीछे कोई छुपे निहितार्थ नहीं हैं तो, यह मध्यप्रदेश को शांति का टापू बने रहने में बड़ा योगदान करेगी। इसे किसी की बुरी नजर न लगे, चुनाव तो आते जाते रहेंगे..।
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