कोटेश्वर में गंगाजल कलश यात्रा के साथ भागवत कथा शुरू, 108 कुंडीय अतिरुद्र महायज्ञ आज से





रिपोर्टर-विक्की राजपुरोहित
बदनावर। जब तक परमात्मा की कृपा न हो, हम विचार करने के लिए प्रस्तुत नहीं होते हैं। हम विचार कब करते हैं, जब समस्या कु छ ज्यादा ही बढ़ जाती है। हर रोज कु आं खोदकर पानी पीना बुद्धिमता नहीं होती है, वैसे ही अलग-अलग पूजा करना बुद्धिमता नहीं है। पत्तों में पानी देने से वृक्ष हरा-भरा नहीं होगा इसके लिए हमें उसकी जड़ में पानी देना पडेग़ा।





 ये विचार कोद के समीप अतिप्राचीन तीर्थ एवं पर्यटन स्थल कोटेश्वर महादेव धाम में शनिवार को श्रीमद् भागवत कथा के पहले दिन कैलाश मठ काशी के भागवताचार्य पं. आशुतोष नंदगिरीजी ने व्यक्त किए। डेढ़ से ढाई बजे तक उन्होंने कथा का वाचन किया। इसके साथ ही सात दिवसीय अष्टोत्तर शतकुडीय (108) श्रीअतिरुद्र महायज्ञ महोत्सव एवं कथा का आयोजन प्रारंभ हुआ। अंचल सहित दूरदराज क्षेत्र से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने धार्मिक आयोजन में भाग लेकर कथा श्रवण का लाभ किया। नजर निहाल आश्रम ओंकारेश्वर के संस्थापक यज्ञ एवं गुरु नर्मदानंदजी बापजी की निश्रा में सुबह हैमाद्री प्रयोग, प्रभु आव्हान, स्थापना आदि कार्यक्रम हुए।




धूमधाम से निकाली कलश यात्रा

इस दौरान नगर में कोटेश्वर महादेव धाम से आयोजन स्थल तक गंगाजल कलश यात्रा निकाली गई। मंडल स्थल पर जाकर विधिपूर्वक कलश की स्थापना की गई। 108 कुंडीय महायज्ञ के लाभार्थी यजमानों का भी तिलक लगाकर स्वागत कि या। दोपहर में कै लाश मठ काशी के भागवताचार्य पं. आशुतोष नंदगिरीजी श्रीमद् भागवत कथा का वाचन दोपहर डेढ़ से ढाई बजे एक घंटे तक किया। पं. आशुतोष ने कहा कि सभी देवताओं का समावेश अग्नि में है, इसलिए यहां अतिरुद्र महायज्ञ के माध्यम से सारे देवी-देवताओं का एक ही स्थान पर आव्हान कि या गया है। आज से अतिरुद्र महायज्ञ की शुरुआत होगी। सुबह छह बजे से शुभ मुहूर्त में महायज्ञ प्रारंभ होगा। आठ बजे गुुरु पादुका पूजन के बाद गाय के शुद्ध घी व शाकल्य से आहुतियां दी जाएंगी। दोपहर में डेढ़ घंटे का विश्राम रहेगा। शाम छह बजे महाआरती होगी।
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