प्राचीन कोटेश्वर तीर्थ मे आज से 108 कुंडीय महायज्ञ व भागवत कथा का आयोजन।

1 लाख वर्ग फीट में पांडाल बनाया गया।

रिपोर्टर- मनोज कवि। 

बदनावर। प्रकृति की गोद में बसे सुरम्य एवं प्राचीनतम तीर्थ तथा महर्षि कण्व की तपोभूमि कहे जाने वाले कोटेश्वर तीर्थ मे बहुजन हिताय बहुजन सुखाय के उद्देश्य को लेकर 8 दिसंबर को होने वाले 108 कुंडीय श्री अतिरूद्र महायज्ञ महोत्सव की तैयारिया पूर्ण हो चुकी है। 8 दिवसीय महायज्ञ का समापन 15 दिसंबर को होगा। क्षेत्र में लंबे समय बाद इतने बडे स्तर पर यह आयोजन हो रहा है। इसी के साथ श्रीमद भागवत कथा होगी व स्वास्थ्य परीक्षण शिविर भी लगेगा। 

नजर निहाल आश्रम ओकारेश्वर के नर्मदानंदजी महाराज की प्रेरणा से आयोजित इस महोत्सव में 8 दिसंबर को हेमाद्री प्रयोग क्लश यात्रा एवं 9 दिसंबर को यज्ञ आंरभ होगा। 12 दिसंबर को बटुक उपनयन संस्कार भी रखा गया है। 

आयोजन के बारे मे नर्मदानंदजी महाराज ने बताया कि यह यज्ञ त्रिवेणी महोत्सव है। जिसके अंतर्गत आत्म कल्याण के लिए यज्ञ, शरीर के लिए स्वास्थ्य शिविर तथा ज्ञान के लिए भागवत ज्ञान गंगा का आयोजन किया गया है। कोटेश्वर एक परम पावन धाम है और यहां किया गया यज्ञ मालवा के पर्यावरण के साथ-साथ सर्वजन कल्याण में सहायक होगा। उल्लेखनीय है श्री नर्मदानंदजी महाराज को राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है तथा वे हर वर्ष होने वाली नर्मदा परिक्रमा करने वाले तीर्थ यात्रियो के लिए विश्राम करने व भोजन की व्यवस्था निःशुल्क करते है। 

त्रिवेणी महोत्सव का प्रथम सोपान यज्ञ रहेगा। जिसमें 108 कुडीय अतिरूद्र महायज्ञ के लिए 1 लाख वर्ग फीट में पांडाल बनाया गया है। 125 ब्राहा्णो के सानिध्य में 216 पंडित महायज्ञ में आहुति देंगे। इसमें 108 महिला व 108 पुरूष रहेगे। यज्ञ में आहुति के लिए गाय के घी के 108 डिब्बे सहित कुल 1620 किलो घी राजस्थान की पेथमेडा स्थित गौशाला से बुलवाया गया है। यजमानो के रूकने के लिए 20 कमरे बनाए गए है। जहां महिला, पुरू अलग अलग विश्राम कर सकेंगे। इस महोत्सव का दूसरा सोपान भागवत ज्ञान गंगा यज्ञ रहेगा। जिसके लिए अलग से पाडांल बनाया गया है। बनारस के भागवताचार्य आशुतानंद गिरी न्यास और वेदांताचार्य के मुखारविंद से भागवत कथा होगी। 

 

आयोजन स्थल पर 65 शौचालयो का निर्माण भी किया गया है। भोजन की व्यवस्था भी प्रतिदिन रहेगी। इस हेतु भोजनशाला बनाई गई है। आयोजन के प्रांगण मे ही आयुर्वेद चिकित्सा शिविर मे कोटा के डा. नित्यानंद पंडित, राजकोट के डा. भूपेंद्रसिंह ठक्कर एवं रतलाम के डा. चेतन शर्मा सेवाएं देगे। इस महायज्ञ में यज्ञशाला का निर्माण पूर्ण रूप से लकडियो, बांस की बल्ली एवं सिरकी से  किया गया है। इसकी ऊँचाई 61 फीट होकर सात मंजिला रहेगी। यज्ञ शाला में गुरू पंरमपरा के अनुसार गुरू मंदिर भी रहेगा। यह यज्ञ शाला 126 बाय 126 की रहेगी। जिसका निर्माण 15 कारीगरो की टीम ने किया है।

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